Sunday, January 30, 2011

राजस्थान में नीलामी से मिलेंगे खनन पट्टे


राजस्थान सरकार ने अपनी तीसरी खनिज नीति-2011 की घोषणा कर दी है। नई नीति में खनिज मूल्यवर्धन, रोजगार को बढ़ावा और पर्यावरण संतुलन पर जोर दिया गया है। नई खनिज नीति के मुताबिक राजस्थान में अब खान मंत्री किसी भी तरह के खनन पट्टे आवंटित नहीं कर सकेंगे। बल्कि नीलामी प्रक्रिया जरिये इनका आवंटन होगा। हालांकि बेरोजगार युवाओं, शहीदों के आश्रित, अनुसूचित जाति व जनजाति को आवंटन में आरक्षण की व्यवस्था भी की जाएगी। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में खनन पट्टों की प्रारंभिक अवधि 20 साल से बढ़ाकर 30 साल और नवीकरण मिलाकर कुल अवधि को 60 साल से बढ़ाकर 90 साल करने का निर्णय किया गया। गहलोत ने बताया कि पचास प्रतिशत खनन आरक्षित वर्ग के लिए होगा और शेष का आवंटन नीलामी के आधार पर किया जाएगा। जनजातीय इलाकों में राजस्थान माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड के नए पट्टों के खनन से होने वाले लाभ का 26 प्रतिशत स्थानीय विकास पर खर्च होगा। नीति में अवैध खनन को रोकने के प्रावधान किए गए हैं। अवैध खनिज के परिवहन में काम आने वाले वाहनों के खिलाफ सख्त कार्यवाही के साथ ही खनिज विभाग की सतर्कता शाखा को मजबूत करने का भी निर्णय किया गया है। खनिज नीति में प्रावधान किया गया है कि वेस्ट मेटेरियल के निस्तारण के लिए जिला कलेक्टर्स द्वारा भूमि आवंटन किया जाएगा। वन सीमा के 25 मीटर तक किसी खनन पट्टे का आवंटन नहीं किया जाएगा। वन सीमा से 500 मीटर की दूरी तक खनन पट्टों का आवंटन वन विभाग से लैंड स्टेटस रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद ही किया जाएगा। नीति में अधिसूचित वन्यजीव अभ्यारण्य और राष्ट्रीय पार्क के अंदर खनन कार्य की अनुमति नहीं देने का भी प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इसके साथ ही राज्य की तीसरी खनिज नीति में यह भी प्रावधान किया गया है कि खान मालिक को मजदूरों के स्वास्थ्य की नियमित जांच कराने के साथ ही उनकी जीवन बीमा पॉलिसी भी करानी होगी। मुख्यमंत्री के अनुसार सरकार अवैध खनन में लिप्त खनन माफिया के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि देश भर में खनन माफिया व अवैध खनन को लेकर भ्रष्टाचार और शिकायतें चिंता का विषय बनी हुई है। राज्य की पहली खनिज नीति वर्ष 1977 में और दूसरी खनिज नीति वर्ष 1994 में बनी थी।


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