कानून-व्यवस्था व प्रौद्योगिकी समस्याओं और मशीन-उपकरण मिलने में देरी के कारण 11वीं पंचवर्षीय योजना (वर्ष 2007-12) के दौरान विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़ाने का लक्ष्य और घटाना पड़ सकता है। अब इसे कम करके 55,000 मेगावाट किया जा सकता है। सरकार ने इससे पहले चालू पंचवर्षीय योजना में कुल 78,577 मेगावाट क्षमता की नई परियोजनाएं स्थापित करने का लक्ष्य रखा था। इसे पहले ही घटाकर 62,000 मेगावाट किया जा चुका है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में कानून-व्यवस्था की समस्या और उत्तर प्रदेश में कुछ परियोजनाओं के लिए मशीन उपकरण मिलने में देरी के कारण कई परियोजनाएं इस योजना के दौरान पूरी नहीं हो पाएंगी। कश्मीर में उरी और उत्तरी बंगाल में तीस्ता जल विद्युत परियोजनाओं में कानून व्यवस्था की स्थिति के कारण अड़चनें आई हैं। सरकारी कंपनी राष्ट्रीय जल विद्युत निगम (एनएचपीसी) उरी और तीश्ता परियोजनाओं का निर्माण कर रही है। दोनों ही अपने निर्धारित समय से पीछे चल रही हैं। बिजली विभाग के अधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की कुछ बिजली परियोजनाओं के उपकरणों में तकनीकी समस्याएं आ रही हैं। उनकी चिमनियां अच्छी तरह काम नहीं कर रही हैं। अधिकारी के अनुसार उपकरणों की आपूर्ति में देरी से भी समस्याएं खड़ी हो रही हैं। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि बिजलीघरों के मुख्य उपकरणों (बायलर्स, टर्बाइन और जेनरेटर्स) की आपूर्ति में समस्या नहीं है, बल्कि बिजलीघरों में कोयले और राख को उठाने बढ़ाने की प्रणालियों के लिए मशीन उपकरणों की आपूर्ति में देरी हई है। चालू पंचवर्षीय योजना के दौरान अब तक 23,000 मेगावाट बिजली ही जोड़ी जा सकी है। चालू योजना के दौरान लक्ष्य को हासिल करना एक चुनौती बन गया है। इस बीच, बिजली मंत्रालय ने 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान 1,00,़000 मेगावाट अतिरिक्त बिजली उत्पान क्षमता जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
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