चीन ने इस्तेमाल हो चुके परमाणु ईधन से यूरेनियम और प्लूटोनियम बनाने में सफलता हासिल करने का दावा किया है। उसका कहना है कि यह तकनीक उसके परमाणु ऊर्जा बिजलीघरों को तीन हजार साल तक ईधन की आपूर्ति करा सकती है। सरकारी समाचार एजेंसी चाइना सेंट्रल टेलीविजन के अनुसार, चीन को दशकों की मेहनत के बाद इसमें सफलता मिली है। अब चीन 60 नए परमाणु संयंत्र स्थापित करने की योजना में है। इसके अलावा वह 2020 तक कम से कम 7.5 करोड़ किलोवाट की परमाणु ऊर्जा उत्पादकता हासिल करना चाहता है। चीन में वर्तमान परमाणु ऊर्जा तकनीक के तहत केवल तीन से चार प्रतिशत परमाणु ईधन का ही इस्तेमाल हो पाता है। मगर प्रयोग किए जा चुके परमाणु ईधन से कई गुना अधिक ऊर्जा मिल सकती है। इसके अलावा इसको जलाने से भी कई परमाणु पदार्थो को प्राप्त किया जा सकता है। नई तकनीक के द्वारा परमाणु ईधन से 60 गुना अधिक ऊर्जा हासिल की जा सकती है। वर्तमान में मौजूद यूरेनियम पदार्थो से चीन के परमाणु बिजलीघर को सिर्फ 50 से 70 साल तक ही ईधन प्राप्त हो सकता है, वहीं नई तकनीक की बदौलत चीन तीन हजार साल तक का परमाणु ईधन बना सकता है। चीन के लिए इसे बहुत ही बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। चीन विश्व में ईधन की सबसे ज्यादा खपत करने वाला देश है और वह अपनी तेजी से बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु बिजलीघरों के व्यापक विस्तार पर जोर दे रहा है। दुनिया में सबसे अधिक आबादी वाला चीन न सिर्फ कोयले की सबसे अधिक खपत करने वाला देश है बल्कि चोटी का पर्यावरण प्रदूषक भी है। चीन में इस समय 12 परमाणु बिजली घर काम कर रहे हैं और 23 निर्माणाधीन है। पूर्व में चीन परमाणु बिजलीघरों के निर्माण के लिए जापान, अमेरिकी और यूरोपियन कंपनियों पर निर्भर था मगर पिछले कुछ सालों में यहां की कई कंपनियां भी बड़े प्लांट बनाना जान गई हैं। इसके अलावा, परमाणु ऊर्जा इस्तेमाल करने के लिए चीन 23 मशीनों के सेट का निर्माण भी कर रहा है, जबकि दुनियाभर में ऐसे सिर्फ 57 सेट हैं। हालिया रिपोर्टो में कहा गया है कि भविष्य की मांग को देखते हुए चीन पहले से ही यूरेनियम की बड़ी मात्रा का भंडार जमा कर चुका है। वर्तमान में चीन करीब 750 टन यूरेनियम का प्रति वर्ष उत्पादन करता है। 2015 तक यूरेनियम की मांग-आपूर्ति का अंतर बढ़कर 10,000 टन तक होने की उम्मीद है जो 2030 तक करीब 30,000 टन तक पहुंच जाएगा। कैंब्रिज में मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में यूरेनियम उद्योग विशेषज्ञ और भौतिकविद् थॉमस नेफ के अनुसार, अपने नए रिएक्टरों की खातिर भंडार एकत्रित करने के लिए चीन अपनी यूरेनियम खरीद को दुगनी यानी करीब 5000 मीट्रिक टन तक कर सकता है। पिछले साल चाइना यूरेनियम डेवलपमेंट को. लि. ने ऑस्ट्रेलियन माइनर एनर्जी मेटल्स लि. में बहुलांश हिस्सेदारी खरीद ली थी। ऑस्ट्रेलियन कंपनी की काफी बड़ी मात्रा में यूरेनियम स्रोतों तक पहुंच है। 2010 में मांग में गिरावट आने के कारण यूरेनियम के दाम एक जगह बने रहे थे।
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