पचपन अरब रुपये से ज्यादा धनराशि खर्च कर राज्य के तीन सौ से अधिक आबादी वाले मजरों का विद्युतीकरण किया जाएगा। पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने इस संबंध में विस्तृत योजना बनाकर केंद्रीय ग्रामीण विद्युतीकरण निगम को भेज दी है। निगम से हरी झंडी मिलते ही योजना पर अमल शुरू हो जाएगा। पावर कारपोरेशन के सीएमडी नवनीत सहगल ने बताया कि प्रदेश सरकार हर गांव को बिजली देना चाहती है। राज्य के आठ जिलों में पावर ग्रिड विद्युतीकरण का काम कर रहा है। जबकि शेष जिलों के तीन सौ से ज्यादा आबादी वाले सभी मजरों के विद्युतीकरण के लिए भी सरकार प्रयासरत है। इसके लिए पावर कारपोरेशन ने तकरीबन 55 अरब रुपये की योजना बनाकर ग्रामीण विद्युतीकरण निगम को भेजी है। उन्होंने बताया कि राज्य के तमाम क्षेत्र ऐसे हैं जहां विद्युत लाइन फिलहाल नहीं पहुंचायी जा सकती है। ऐसे क्षेत्रों में अंधेरा दूर करने के लिए अब माइक्रो हाइडिल, बायोमास एवं सौर ऊर्जा को माध्यम बनाया जाएगा। इनके माध्यम से ऐसे क्षेत्रों में अब बिजली मुहैया कराने की योजना बनाई गई है। इसके लिए ललितपुर, बांदा, सोनभद्र, हमीरपुर, लखीमपुर, बहराइच व मिर्जापुर आदि जिलों की 68 परियोजनाएं बनाकर स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार को भेजी गई हैं। सहगल ने ग्रामीण विद्युतीकरण के कार्यो की बुधवार को समीक्षा भी की। उन्होंने विद्युतीकरण के कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। सूबे में आज भी 1.28 लाख से ज्यादा मजरे ऐसे हैं, जिनके निवासी लालटेन की रोशनी में जीवन बिता रहे हैं। सौ से अधिक आबादी वाले ऐसे मजरों तक बिजली पहुंचाने के लिए सरकार ने दो साल पहले एक प्रोजेक्ट बनवाया था। लगभग 11 करोड़ का यह प्रोजेक्ट आरजीजीवीआई के दूसरे फेज के तहत केंद्र को भेजा था, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद इसे मंजूरी नहीं मिल सकी।
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