प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को सुबह लैपटॉप का बटन दबाकर तारापुर स्थित पावर रिएक्टर रिप्रोसेसिंग संयंत्र की शुरुआत की। इसे एतिहासिक क्षण बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि अब इस्तेमाल किए गए ईंधन की रिप्रोसेसिंग यह भी सुनिश्चित करेगी कि हम नाभिकीय ईंधन चक्र के उप उत्पादों यानी अवशिष्ट (कचरा) पदार्थो का भी बेहतर प्रबंधन व इस्तेमाल करने में समर्थ हैं । देश में नाभिकीय ऊर्जा उत्पादन का केंद्र माने जानेवाले तारापुर में सौ टन सालाना क्षमता वाला यह दूसरा विद्युत रिएक्टर ईधर पुनर्सस्करण संयंत्र स्थापित किया गया है। इसे देश की प्रगति में मील का पत्थर बताते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि यह एक ऐसा उदाहरण है, जो दर्शाता है कि भारतवासी जो एक बार ठान लें, कोई भी कार्य कर सकते हैं। पीएम के अनुसार हमारी वर्तमान एवं भविष्य की ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए यूरेनियम का पुनर्चक्रण एवं उचित उपयोग आवश्यक है।
एईसी 2020 तक निर्धारित लक्ष्य पूरा होने के प्रति आशंकित
परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) वर्ष 2020 तक 20,000 मेगावाट के परमाणु ऊर्जा उत्पादन के प्रति आशंकित दिख रहा है। आयोग ने यह लक्ष्य महाराष्ट्र के जैतापुर में लगने जा रहे दुनिया के सबसे बड़े (9,900 मेगावाट) परमाणु ऊर्जा संयंत्र को मिलाकर निर्धारित किया था। स्थानीय लोग इस संयंत्र का जबर्दस्त विरोध कर रहे हैं। शुक्रवार को तारापुर में दूसरे पावर रिएक्टर फ्यूल प्रोसेसिंग संयंत्र के उद्घाटन के बाद परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष डॉ. श्रीकुमार बनर्जी ने कहा कि वर्ष 2020 के लिए निर्धारित 20 हजार मेगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है, लेकिन इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती है। महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में लगने जा रहे जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र की पहली दो इकाइयों (प्रत्येक 1,650 मेगावाट) के वर्ष 2018 तक शुरू करने की योजना बनाई गई है, लेकिन स्थानीय लोगों के विरोध के कारण अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं। जैतापुर के मछुआरों को आशंका है कि संयंत्र के कारण समुद्र का पानी गरम होने से मछलियां कम हो जाएंगी।
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