भूकंप और सुनामी के बाद परमाणु खतरे से जूझ रहे जापान के हालात से सबक लेते हुए भारत अपने असैन्य परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा बढ़ाने की तैयारी में है। इसके लिए संसद के मानसून सत्र में दो विधेयक पेश किए जाएंगे। नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने शुक्रवार को बताया कि इस प्रस्तावित विधेयक में भारत के असैन्य परमाणु संयंत्रों के अचूक और विश्वसनीय सुरक्षा उपाय करने की बात शामिल होगी। उस अधिकारी ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के साथ कजाखिस्तान की राजधानी अस्ताना की यात्रा कर रहे संवाददाताओं को यह जानकारी दी। उम्मीद है कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अस्ताना में असैन्य परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे। अधिकारी ने बताया कि परमाणु सुरक्षा विधेयक संसद में पेश किया जाएगा और उसे अध्ययन के लिए स्थाई समिति के पास भेजा जाएगा। उसने कहा कि परमाणु सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानक स्तर को पूरा करना होगा। इस पर विचार-विमर्श के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की स्थायी समिति सर्वाधिक उपयुक्त है। अधिकारी ने बताया कि एक अन्य विधेयक जो पेश किया जाने वाला है उसमें परमाणु ऊर्जा कानून में संशोधन का प्रस्ताव है, जिससे परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (एइआरबी) को स्वतंत्र वैधानिक बोर्ड का दर्जा दिया जा सके। जापान के फुकुशिमा परमाणु हादसे को देखते हुए भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग ने चार टास्क फोर्स गठित किए हैं। एक टास्कफोर्स ने सलाह दी है कि परमाणु रिएक्टरों की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त उपाय किए जाएं। भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम (एनपीसीआइएल) और परमाणु ऊर्जा विभाग इस पर आने वाले अतिरिक्त खर्च को देखेंगे। जहां जरूरत पड़ेगी सरकार उसे पूरा करेगी। भारत में अभी बीस परमाणु ऊर्जा संयंत्र काम कर रहे हैं और लगभग आधा दर्जन लगाए जा रहे हैं|
No comments:
Post a Comment