Sunday, April 3, 2011

ताजा और खारा पानी मिलकर करेगा लाखों वाट बिजली पैदा


वैज्ञानिकों ने एक ऐसी बैटरी का ईजाद करने का दावा किया है जो मीठे और समुद्री जल के खारेपन में विभेद कर ऊर्जा पैदा कर सकती है। वैज्ञानिकों ने बताया कि जब नदी के मुहानों से पानी समुद्र में प्रवेश करता है तो इस बैटरी का इस्तेमाल करके वहां ऊर्जा संयत्र बनाया जा सकता है। ताजे पानी की कम उपलब्धता का जिक्र करते हुए शोध के नेतृत्वकर्ता ई चुई ने कहा कि वास्तव में हमारे पास अथाह समुद्री जल है और दुर्भाग्य से मीठे पानी की मात्रा बहुत कम है। बैटरी से ऊर्जा पैदा करने की संभावना जाहिर करते हुए शोधकर्ताओं ने हिसाब लगाया कि यदि दुनिया की सभी नदियों में उनकी बैटरी का इस्तेमाल किया जाए तो एक साल में करीब दो टेरावाट बिजली की आपूर्ति की जा सकती है। यह मोटे तौर पर वर्तमान में दुनिया में इस्तेमाल होने वाली कुल ऊर्जा का 13 प्रतिशत है। बैटरी अपने आप में बहुत ही सामान्य है। इसमें दो इलेक्ट्रोड हैं, एक पॉजीटिव और एक नेगेटिव, जो विद्युत चार्ज कणों या लोहे की छड़ों से युक्त एक द्रव में डूबे रहते हैं। पानी में सोडियम या क्लोरीन आयन हैं, जो आम साल्ट के घटक हैं। शुरुआत में बैटरी में मीठा पानी भरा जाता है और हल्के इलेक्टि्रक करंट के जरिए इसे चार्ज किया जाता है। बाद में मीठा पानी निकालकर इसमें समुद्री जल भरा जाता है। नैनो लेटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक समुद्री पानी में आयन मीठे जल से 60 से 100 गुना अधिक होते हैं इसलिए दोनों इलेक्ट्रोड के बीच वोल्टेज बढ़ जाती है। यह इसे बैटरी को चार्ज करने से अधिक बिजली पैदा करने में मददगार साबित होता है। चुई ने बताया कि यह वोल्टेज सोडियम और क्लोरीन आयनों की अधिकता पर निर्भर करती है। अगर आपच्स्वच्छ जल में कम वोल्टेज पर चार्ज करते हैं और फिर खारे पानी में अधिक वोल्टेज पर डिस्चार्ज करते हैं तो इसका मतलब है आप ऊर्जा हासिल करते हैं। आप जितनी ऊर्जा लगा रहे हैं आपको उससे ज्यादा प्राप्त होती है। एक बार जब डिस्चार्ज पूरा हो जाता है तो समुद्री जल बाहर निकल जाता है और उसके स्थान पर नदी का साफ पानी आ जाता है। इस तरह यह चक्र फिर से शुरू किया जा सकता है। चुई ने कहा कि यहां पर मुख्य बात यह है कि आपको इलेक्ट्रोलाइट, बैटरी में मौजूद तरल, में अदला-बदली करने की जरूरत होती है।


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