ऋषिकेश स्थित चीला पावर हाउस की शक्ति नहर में रविवार को हाइड्रो-इलेक्टि्रक इंजीनियरों ने पावर सेक्टर में एक इतिहास रच दिया। बिजली उत्पादन की नई तकनीक पर चीला शक्ति नहर पर चल रहा प्रयोग सफल हो गया। इंजीनियरों ने नहर में लगाई गई दो टरबाइनों से 30 किलोवाट बिजली पैदा कर विश्व के पहले तैरते हुए बिजली घर की परिकल्पना को मूर्तरूप दिया। महज 15 मिनट में 30 किलोवाट बिजली उत्पादन से उत्साहित इंजीनियरों ने अगले छह महीने तक परीक्षण जारी रखने का निर्णय किया है। ऋषिकेश से चीला विद्युत गृह को जाने वाली चीला शक्ति नहर में बीते कुछ माह से एक प्राईवेट कंपनी डीएलजेड पावर प्रोजेक्ट द्वारा विद्युत उत्पादन की एक नई तकनीक पर कार्य चल रहा था। इस तकनीक में पानी को ऊंचाई से टरबाइन पर नहीं गिराकर टरबाइन को सीधे नहर के अंदर लगाया जाना था। इसके पीछे इंजीनियरों की सोच पानी की गतिज ऊर्जा के इस्तेमाल से टरबाइन घुमाकर बिजली पैदा करने की थी। इंजीनियरों ने चीला शक्ति नहर में सर्वे कर कुछ ऐसे स्थान चिन्हित किए, जहां पर पानी की गतिज ऊर्जा बाकी क्षेत्रों के मुकाबले सर्वाधिक है। जनवरी में नदी में टरबाइन लगाने का कार्य शुरू हुआ, जो बीते सप्ताह ही पूर्ण हुआ। अमेरिका और कनाडा से आए इंजीनियरों की देखरेख में चल रही इस परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण चरण नहर में टरबाइन फिट करने का कार्य शनिवार को पूर्ण हो चुका था। रविवार को टरबाइनें घूमी तो इंजीनियरों के चेहरों पर खुशी छा गई। प्रोजेक्ट इंजीनियर नितिन मित्तल ने बताया कि नहर में 25-25 किलोवॉट की दो टरबाइनें लगाई गई, जिनसे कुल 50 किलोवॉट विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। रविवार को पहली बार दोनों टरबाइन चालू कर 15 मिनट तक चलाया गया जिससे 30 किलोवाट बिजली पैदा की गई। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में नहर का जलस्तर मूल स्तर से करीब डेढ़ मीटर नीचे है। प्रथम चरण के परिणाम उत्साहजनक हैं, मगर अगले छह महीने तक प्रयोग व बदलाव जारी रहेंगे। इसके अलावा विभिन्न प्रकार की टरबाइन के नए-नए डिजाइनों पर का प्रयोग कर यह देखा जाएगा कि कौन सी टरबाइन अधिक आसानी से बिजली उत्पादन में सहायक होगी। इसके बाद ही इस योजना को पूर्ण व असल परिणामों की गणना हो सकेगी|
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