बिजली का कनेक्शन न मिलने से दुखी एक किसान ने मुर्गियों की बीट से गैस बनाई और उससे जेनरेटर चलाकर अपना बिजलीघर बना डाला। यह किया है सिलानी गांव 50 वर्षीय किसान सुखबीर सिंह ने। सुखबीर सिंह ने करीब 20 हजार मुर्गियों वाली हेचरी खोलने के बाद मुर्गियों की बीट से ही बायोगैस बनाने के लिए प्लांट लगाया था। इससे निकलने वाली मीथेन गैस से रसोई गैस की कमी को तो दूर कर ही लिया, साथ ही उसने 62 केवी के जेनरेटर को भी इस गैस से चलाकर 50 किलोवाट बिजली का उत्पादन किया। यह प्रदेश में अपनी तरह का पहला प्रयोग है। सुखबीर पहले इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान की दुकान करते थे। इस पर उनका करीब साढ़े 8 लाख रुपये का खर्च आया है। 50 प्रतिशत डीजल का प्रयोग फिलहाल जेनरेटर को चलाने के लिए सुखबीर सिंह 50 प्रतिशत गैस और 50 प्रतिशत डीजल का प्रयोग कर रहे हैं। तकनीक में और सुधार करके डीजल की खपत कम करने की योजना पर काम किया जा रहा है। अभी तक गोबर से ही बायोगैस बनाने का काम किया जाता रहा है। कृषि विभाग के एडीओ डॉ. संदीप फौगाट का कहना है कि प्रदेश में मुर्गी की बीट से बायोगैस प्लांट व जेनरेटर चलाने का यह पहला प्रयोग है। इसके अलावा हिसार की एक गोशाला में गोबर गैस प्लांट के माध्यम से डीजल इंजन चलाने में सफलता प्राप्त की है। अभी इस तकनीक पर ज्यादा कार्य करने की आवश्यकता है, क्योंकि विदेशों में 25 प्रतिशत डीजल और 75 प्रतिशत गैस से इस तरह के इंजन चलाए जा रहे हैं।
Wednesday, February 2, 2011
मुर्गियों की बीट से जेनरेटर चलाकर किया हैरान
बिजली का कनेक्शन न मिलने से दुखी एक किसान ने मुर्गियों की बीट से गैस बनाई और उससे जेनरेटर चलाकर अपना बिजलीघर बना डाला। यह किया है सिलानी गांव 50 वर्षीय किसान सुखबीर सिंह ने। सुखबीर सिंह ने करीब 20 हजार मुर्गियों वाली हेचरी खोलने के बाद मुर्गियों की बीट से ही बायोगैस बनाने के लिए प्लांट लगाया था। इससे निकलने वाली मीथेन गैस से रसोई गैस की कमी को तो दूर कर ही लिया, साथ ही उसने 62 केवी के जेनरेटर को भी इस गैस से चलाकर 50 किलोवाट बिजली का उत्पादन किया। यह प्रदेश में अपनी तरह का पहला प्रयोग है। सुखबीर पहले इलेक्ट्रॉनिक्स के सामान की दुकान करते थे। इस पर उनका करीब साढ़े 8 लाख रुपये का खर्च आया है। 50 प्रतिशत डीजल का प्रयोग फिलहाल जेनरेटर को चलाने के लिए सुखबीर सिंह 50 प्रतिशत गैस और 50 प्रतिशत डीजल का प्रयोग कर रहे हैं। तकनीक में और सुधार करके डीजल की खपत कम करने की योजना पर काम किया जा रहा है। अभी तक गोबर से ही बायोगैस बनाने का काम किया जाता रहा है। कृषि विभाग के एडीओ डॉ. संदीप फौगाट का कहना है कि प्रदेश में मुर्गी की बीट से बायोगैस प्लांट व जेनरेटर चलाने का यह पहला प्रयोग है। इसके अलावा हिसार की एक गोशाला में गोबर गैस प्लांट के माध्यम से डीजल इंजन चलाने में सफलता प्राप्त की है। अभी इस तकनीक पर ज्यादा कार्य करने की आवश्यकता है, क्योंकि विदेशों में 25 प्रतिशत डीजल और 75 प्रतिशत गैस से इस तरह के इंजन चलाए जा रहे हैं।
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