Sunday, February 20, 2011

तेल-गैस खोज में आधुनिक प्रौद्योगिकी का हो इस्तेमाल


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने देश में तेल-गैस की खोज और रिफाइनरी में उन्नत प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल पर जोर दिया। दूसरे राजीव गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम टेक्नोलॉजी (आरजीआइपीटी) की आधारशिला रखते हुए सिंह ने कहा कि आने वाले वर्षो में इन क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के बेहतर उपयोग का महत्व और भी ज्यादा होगा। उन्होंने कहा कि अभी काफी समय तक भारत ऊर्जा जरूरत के लिए पेट्रोलियम पर निर्भर रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने देश में शेल गैस की संभावनाओं के आकलन का काम शुरू कर दिया है। यह आकलन पूर्वोत्तर क्षेत्र में भी किया जा रहा है। इसके मद्देनजर शिवसागर में स्थापित किया जा रहा नया संस्थान अहम साबित होगा। पूर्वोत्तर क्षेत्र में खनिज तेल-गैस की अच्छी संभावना है। पिछले वित्त वर्ष में देश के कुल कच्चे तेल उत्पादन में इस क्षेत्र का 15 प्रतिशत योगदान रहा। इस दौरान इस क्षेत्र से 3.38 अरब घन मीटर गैस भी प्राप्त हुई। उन्होंने कहा कि नई तेल खोज लाइसेंसिंग नीति के आठ चरणों में पूर्वोत्तर क्षेत्र में 25 प्रखंडों का आवंटन किया गया। इनका कुल क्षेत्र 42,000 वर्ग किलो मीटर है। राजीव गांधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान से पढ़कर निकलने वाले लोग पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और प्रबंधन के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाएंगे। संस्थान से पेट्रोलियम उद्योग से संबंधित विविध पाठ्यक्रमों में डिग्री और डिप्लोम प्रमाणपत्र दिए जाएंगे। इस संस्थान का पहला परिसर उत्तर प्रदेश के रायबरेली में है। इसे भारतीय प्रौद्योगिकी और प्रबंधन संस्थानों की तरह स्वायत्तता मिली है। प्रस्तावित आरजीआइपीसी संस्थान भविष्य में मानव संसाधन की मांग और आपूर्ति के अंतर को कम करने के उद्देश्य से स्थापित किया जा रहा है। पेट्रोलियम मंत्रालय के तहत आने वाले उपक्रमों के तत्वावधान में संचालित इस संस्थान के दूसरे परिसर में पहला शिक्षण सत्र सितंबर 2011 में शुरू किया जाएगा। इस पर 143 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार असम सहित पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। असम में गैस क्रैकर कारखाने की बहुत पुरानी मांग पूरी हो रही है। सिंह ने अप्रैल 2007 में डिब्रूगढ़ में इसकी आधारशिला रखी थी। उन्होंने कहा कि इस संयंत्र पर केंद्र कुल 5,500 करोड़ रुपये का निवेश कर रहा है। उन्होंने कहा कि क्रैकर इकाई चालू होने से क्षेत्र में प्लास्टिक और पेट्रो रसायन उद्योग की काफी इकाइयों की स्थापना होने की उम्मीद है।


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