Thursday, February 3, 2011

नो गो क्षेत्रों की पीएम ने पूछी कैफियत


नो गो खनन क्षेत्रों पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश से जल्द फैसला करने को कहा है। दरअसल, कोयले की मांग और आपूर्ति के बीच का अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है। इससे अगले कुछ वर्षो में बिजली आपूर्ति में बड़ी कमी हो सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सोमवार को प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई आपात बैठक में पर्यावरण मंत्री को यह संदेश दिया गया। इस बैठक में कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल और ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे भी मौजूद थे। बैठक में नो गो क्षेत्र में आने वाले 203 कोयला क्षेत्रों पर चर्चा की गई। पर्यावरण मंत्रालय ने वन क्षेत्र में आने वाले इन कोयला क्षेत्रों में खनन गतिविधियों पर पाबंदी लगा रखी है। इनमें से ज्यादातर ब्लॉक सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड के पास हैं। देश की कोयला मांग और आपूर्ति के बीच बढ़ रहे अंतर को कम करने के लिए कोल इंडिया लिमिटेड चाहती है कि कम से कम आधे ब्लॉक में खनन गतिविधियां शुरू करने की अनुमति दी जाए। कंपनी ने चालू वित्त वर्ष के अंत तक 46 करोड़ टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य रखा है। हालांकि, हाल में पेश की गई पर्यावरण प्रदूषण सूची के कारण कंपनी की योजना विफल होती नजर आ रही है। उम्मीद की जा रही है कि अब कंपनी केवल 44.4 करोड़ टन कोयला उत्पादन कर पाएगी। इस मामले पर कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल कई बार प्रधानमंत्री से मुलाकात कर चुके हैं। इसके बाद सरकार ने नो गो खनन क्षेत्रों के मामले पर एक मंत्रिसमूह का गठन किया है। कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि पीएम ने कोल इंडिया के लक्ष्य से कम उत्पादन के अनुमान को ध्यान में रखते हुए सभी मंत्रालयों को सहयोग करने को कहा है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि अगर कोल इंडिया अपने निर्धारित लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाती है, तो आपूर्ति प्रभावित होगी। इससे आने वाले समय में बिजली आपूर्ति पर बुरा असर पड़ सकता है। कोल इंडिया लिमिटेड के अध्यक्ष पार्थ एस भट्टाचार्य ने कहा कि अगर कंपनी के आठ ब्लॉक में खनन की अनुमति नहीं दी गई, तो वर्ष 2011-12 के लिए तय किया गया 48.9 करोड़ टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य हासिल कर पाना भी मुश्किल हो जाएगा। इन क्षेत्रों में नई पर्यावरणीय सूची के कारण खनन गतिविधियां रुकी हुई हैं। अगर खनन पाबंदी को नहीं हटाया जाता है, तो एक अनुमान के मुताबिक अगले वर्ष कंपनी 45 करोड़ टन कोयले का उत्पादन ही कर पाएगी।



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