Saturday, August 4, 2012

देश में अंधेरे के लिए यूपी-एमपी जिम्मेदार


उत्तरी ग्रिड जब 30 जुलाई की सुबह फेल हुआ था तो उसके कारण देश के अधिकतर हिस्से अंधेरे में डूब गए थे। आंतरिक जांच में पाया गया है कि देश को ऐसी स्थिति में पहुंचाने में उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की मुख्य भूमिका थी। इन दोनों राज्यों द्वारा ग्रिड से निर्धारित क्षमता से अधिक बिजली लिए जाने के कारण बड़ी दुर्घटना होते-होते बची थी। उत्तरी ग्रिड से राष्ट्रीय राजधानी सहित नौ राज्यों के तीस करोड़ से अधिक लोगों को बिजली मिलती है। यह ग्रिड पहली बार 30 जुलाई को 2 बजकर 33 मिनट पर फेल किया था। इसके बाद दूसरी बार 31 जुलाई को दोपहर बाद करीब एक बजे हुआ था। पावर ग्रिड की अनुषंगी कंपनी पावर सिस्टम्स ऑपरेशन कंपनी लि (पोसोको) ने पाया है कि अधिक बिजली के प्रवाह के कारण 29 जुलाई को भी दोपहर बाद करीब तीन बजकर दस मिनट पर दुर्घटना जैसी स्थिति पैदा हो गई थी। पोसोको की शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार, 30 जुलाई को जब पहली बार जब संचार व्यवस्था में गड़बड़ी हुई थी तो करीब-करीब पूरा उत्तरी ग्रिड प्रभावित हुआ था। दूसरे दिन की खराबी के दौरान उत्तरी, पूर्वी और उत्तर पूर्वी ग्रिड पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा था। इन दोनों ही खराबी के पहले बीना-ग्वालियर-आगरा वाले 400 केवीए वाली सिंगल सर्किट लाइन में 1000 मेगावाट से भी अधिक बिजली का प्रवाह था। बीना और ग्वालियर मध्य प्रदेश में जबकि आगरा उत्तर प्रदेश में है। फिर फेल होते बचा उत्तरी ग्रिड जागरण ब्यूरो, लखनऊ : उत्तरी ग्रिड एक अगस्त को फिर फेल होते-होते बच गया था। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लि. (यूपीपीसीएल) की ग्वालियर और आगरा के बीच की 400 केवीए की डबल सर्किट लाइन से बुधवार की शाम खतरनाक स्तर तक ओवर लोडिंग थी। संचरण लाइन से क्षमता से अधिक बिजली लेने से ग्रिड फेल हो सकता था। इससे यूपी बिजली बोर्ड के मुख्यालय शक्तिभवन स्थित कंट्रोल रूम में हड़कंप मच गया था। लाइन पर दबाव कम करने के लिए आनन-फानन में आगरा शहर की बत्ती काटी गई। कंट्रोल रूम में बैठे इंजीनियरों ने बुधवार शाम पांच बजे के करीब देखा कि वेस्टर्न ग्रिड को नार्दर्न ग्रिड से जोड़ने वाली अंतरराज्यीय ट्रांसमिशन लाइन पर आपूर्ति का दबाव छह सौ से बढ़कर आठ सौ मेगावाट हो गया है। आगरा की बिजली काटने से चार सौ मेगावाट बिजली की मांग कम हुई और लाइन पर दबाव कम हो गया। हिमाचल प्रदेश की 1600 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना नाफ्था झाकड़ी के अलावा 1200 मेगावाट की करछम परियोजना का उत्पादन एकदम से बंद हो जाने के कारण ही उक्त लाइन पर दबाव बढ़ा। ज्ञात हो, यूपी में बिजली संकट अभी भी बरकरार है। गांवों को टुकड़ों में बिजली देकर लोगों को दिलासा देने की कोशिश की जा रही है। उद्योगों को भी सिर्फ आठ घंटे की बिजली मिल पाई।

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