Thursday, May 19, 2011

भविष्य में विमानों में भी हो सकेगा जैव ईधन का प्रयोग


ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों का दावा है कि वे फीडस्टॉक (कागज उद्योग के कच्चे माल) से एक नए और ज्यादा शक्तिशाली जैव ईधन का निर्माण कर रहे हैं, जो भविष्य में विमानन क्षेत्र का ईधन बन सकेगा। सिडनी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर थॉमस मेश्चमेयर की अगुवानी वाले दल ने कहा कि इसके लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रिया लिग्नासेल्युलोसिस फीडस्टॉक्स नाम से जानी जाती है। इसका स्रोत लुगदी और अखबार उद्योग या यहां तक की घास कटाई है। प्रो. मेश्चमेयर ने कहा, हम उच्च दाब, उच्च तापमान का इस्तेमाल करके लिग्नोसेल्युलोज फीडस्टॉक से बायोक्रूड तेल बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में इग्नाइट ऊर्जा स्रोतों की मदद भी ली जाती है। इस प्रक्रिया से मिले बायोक्रूड में चार गुना अधिक ऊर्जा होती है जो बायोइथेनॉल में बरकरार रहती है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि यह तकनीक विमानन उद्योग के लिए बहुत बड़ा वरदान साबित होगी। उन्होंने कहा कि बहुत ज्यादा मात्रा में बायोमास हासिल करने के लिए रचनात्मक सोच की जरूरत होगी। उन्होंने कहा, अगर हमें सारे विमानन ईधन को पुन: उपयोग में आ सकने वाले ईधन में तब्दील करना हो तो, हमारी प्रक्रिया के हिसाब से हमें दुनियाभर के मौजूदा कृषि उत्पादन के दस फीसदी हिस्से की जरूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा, यह बहुत बड़ी संख्या है लेकिन मैं कल्पना कर रहा हूं कि यह भी संभव हो सकता है, शायद मैक्रोएल्गी के जरिए.. तटों पर जाकर, खारे पानी में, बिना मौजूदा भूमि और ताजे पानी से प्रतिस्पर्धा करे।


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